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सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार का नाम चुनावी प्रचार में इस्तेमाल करने को लेकर अजित पवार गुट को कड़ी फटकार लगाई, कहा बिना अनुमति के उनका नाम नहीं लिया जा सकता।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अजित पवार गुट को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए. पार्टी से पूछा गया कि एनसीपी के ऑनलाइन कॉन्टेंट में शरद पवार का नाम बार-बार क्यों लिया जा रहा है.

20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार जोर पकड़ चुका है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को फटकार लगाई है। यह फटकार चुनाव प्रचार के दौरान शरद पवार के नाम के अनाधिकृत उपयोग को लेकर दी गई है। कोर्ट ने कहा कि अजित पवार गुट को खुद को साबित करना चाहिए और पार्टी से पूछा कि शरद पवार का नाम उनके ऑनलाइन कंटेंट में बार-बार क्यों आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में शरद पवार गुट की एनसीपी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, 13 नवंबर को शरद पवार गुट की ओर से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि अजित पवार गुट अपने फायदे के लिए शरद पवार की छवि का गलत इस्तेमाल कर रहा है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन कर रहा है। इस मामले में उन्होंने अजित पवार गुट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

इस सुनवाई में जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच थी। जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि कोर्ट वोटर्स की सोच को जज नहीं कर सकता, जबकि जस्टिस भुइयां ने कहा कि हमें वोटर्स को कमतर नहीं आंकना चाहिए। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या शरद पवार गुट को लगता है कि महाराष्ट्र के वोटर्स को पार्टी में हुए विभाजन के बारे में जानकारी नहीं है।

इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने उत्तर दिया…

“इसे दूसरी तरह से देखें. ये कहा जा रहा है कि पवार परिवार एक है और वोट उनके (शरद पवार) नाम पर मांगे जा रहे हैं. आप ऐसा क्यों कर रहे हैं?”

सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि अजित पवार गुट के एक वीडियो में शरद पवार की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि अगर वीडियो पुराना भी है, तो प्रचार में शरद पवार का नाम बार-बार क्यों लिया जा रहा है।

एनसीपी (अजित पवार गुट) की ओर से सीनियर वकील बलबीर सिंह ने कहा कि यह एक पुराना फेसबुक पेज है, लेकिन कोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। बेंच ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा…

“आपको अपने पैर पर खड़ा होना चाहिए. अब शरद पवार के साथ आपके वैचारिक मतभेद हैं.”

बेंच ने ये भी कहा कि देश के लोग काफी समझदार हैं और वे जानते हैं कि उन्हें कैसे वोट करना है, वे शरद और अजित पवार में अंतर समझ सकते हैं. बेंच ने एक बार फिर कहा कि कोर्ट के आदेश का सम्मानपूर्वक पालन होना चाहिए. अब इस मामले की सुनवाई 19 नवंबर को होगी.

यह पूरा विवाद एनसीपी के अधिकार पर आधारित है। पिछले साल जुलाई में एनसीपी में हुए बगावत के बाद, इस साल फरवरी में चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन शरद पवार गुट ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने की अनुमति दी, लेकिन कोर्ट ने यह भी शर्त रखी कि चुनाव चिह्न के साथ हर जगह यह लिखना होगा कि यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।

लोकसभा चुनाव से पहले, 19 मार्च को कोर्ट ने शरद पवार गुट को पार्टी के नाम ‘NCP (शरदचंद्र पवार)’ और चुनाव चिह्न ‘तुरहा बजाता व्यक्ति’ का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह निर्देश भी दिया कि वह शरद पवार गुट और उसके सिंबल को मान्यता दे।

साथ ही, कोर्ट ने अजित पवार गुट को स्पष्ट तौर पर कहा था कि वह राजनीतिक लाभ के लिए शरद पवार का नाम और तस्वीर इस्तेमाल नहीं करेगा।

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