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फांसी की सजा ने एक नए देश के निर्माण में कैसे अहम भूमिका निभाई?

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तीन सदी पहले के इंग्लैंड में ब्लडी कोड नाम का एक सिस्टम लागू था. ऐसा सिस्टम जिसमें मामूली से जुर्म के लिए फांसी दे दी जाती थी.

तीन सदी पहले इंग्लैंड में एक कानून व्यवस्था लागू थी, जिसे “ब्लडी कोड” (Bloody Code) कहा जाता था। यह एक अत्यंत कठोर और निर्दयी प्रणाली थी, जिसमें मामूली से मामूली अपराधों के लिए भी मौत की सजा तय थी। इस कानून के तहत सैकड़ों अपराधों के लिए फांसी की सजा थी। कुछ अपराध तो बेहद गंभीर थे, जैसे हत्या या लूटपाट, जबकि कुछ साधारण जुर्म, जैसे टोल की सड़कों को नुकसान पहुंचाना या किसी दूसरे की संपत्ति को क्षति पहुंचाना, उनके लिए भी वही भयंकर सजा निर्धारित थी।

हालांकि, इस सख्त कानून के खिलाफ सोशल रिफॉर्मर सर सैमुएल रॉमिल्ली ने संघर्ष शुरू किया। रॉमिल्ली और अन्य सुधारकों ने सफलतापूर्वक कई मामूली अपराधों के लिए फांसी की सजा को समाप्त करवाया और उनके स्थान पर अधिक इंसानियत से भरी सजा का प्रस्ताव रखा। 19वीं सदी में इंग्लैंड ने धीरे-धीरे “ब्लडी कोड” की कड़ी सजा प्रणाली को कमजोर करना शुरू किया और इसके स्थान पर कई सुधारात्मक उपाय लागू किए गए।

इसके परिणामस्वरूप, इंग्लैंड में अपराधों के लिए सजा देने के तरीकों में बदलाव आया। इन सुधारों का इतना बड़ा प्रभाव पड़ा कि इनमें से कुछ महत्वपूर्ण बदलावों ने अंततः एक नए देश के निर्माण की दिशा में योगदान दिया। खासकर, अमेरिका में 1776 में स्वतंत्रता संग्राम के बाद, यह विचारधारा स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की तरफ मुड़ी, जो उस समय इंग्लैंड से उपनिवेशी शासन से मुक्ति के लिए जरूरी थी। यह सभी घटनाएँ और सामाजिक बदलाव धीरे-धीरे अमेरिका की संविधानिक व्यवस्था और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत नींव साबित हुईं।

तो, ब्लडी कोड का अंत, फांसी की सजा की समाप्ति और उसके बाद की सामाजिक और कानूनी सुधारों ने न केवल इंग्लैंड में, बल्कि दुनिया भर में न्याय व्यवस्था और मानवाधिकारों के प्रति दृष्टिकोण को बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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