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राज्यसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इज़रायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत के रुख को स्पष्ट किया।

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भारत के लंबे समय से टू-स्टेट वाले स्टैंड को विदेश मंत्री ने फिर से दोहराया.


भारत के विदेश मंत्री, एस जयशंकर ने हाल ही में राज्यसभा में इजरायल-फिलिस्तीन विवाद पर भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत की नीति को दोहराया, जिसमें इजरायल और फिलिस्तीन के बीच एक शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया गया। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का हमेशा से यह मानना रहा है कि इस मुद्दे का हल एक “दो-राज्य समाधान” (Two-State Solution) के माध्यम से होना चाहिए, जिसमें इजरायल और फिलिस्तीन दोनों देशों को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्थापित किया जाए।

एस जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत का रुख यह है कि फिलिस्तीन को इजरायल के बगल में एक स्वतंत्र, संप्रभु राज्य के रूप में स्थापित किया जाए, जो कि दोनों देशों के लिए शांति और स्थिरता का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने इस बात को पुनः दोहराया कि भारत का मानना है कि फिलिस्तीन और इजरायल दोनों को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए, और एक-दूसरे के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।

इस बयान से भारत का निरंतर समर्थन स्पष्ट हुआ कि वह इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति की दिशा में एक स्थिर और दीर्घकालिक समाधान चाहता है। भारत के दो-राज्य समाधान के दृष्टिकोण का उद्देश्य न केवल क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि दोनों देशों के नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा की जाए।

भारत का यह रुख पिछले कई दशकों से बना हुआ है, और यह भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत ने हमेशा इजरायल और फिलिस्तीन दोनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश की है, और इस विवाद को एक शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण तरीके से सुलझाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

इस बयान के माध्यम से विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत की नीति पूरी तरह से शांतिपूर्ण बातचीत, संयम और सहमति पर आधारित है, और भारत किसी भी प्रकार के संघर्ष या हिंसा का समर्थन नहीं करता। यह रुख भारत के अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें वह हमेशा से क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए सक्रिय रूप से काम करता आया है।